हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अंजुमन फ़िक़्ह वा हक़ के सदस्यों ने अयातुल्ला जवादी आमोली से मुलाकात की, जहां उन्होंने "शुचिता और हिजाब" विषय पर चर्चा की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आंख, जीभ, कान और चरित्र की पवित्रता सभ्य समाज का निर्माण करती है, जबकि इन सिद्धांतों का उल्लंघन सामाजिक शांति को खतरे में डालता है।
आयतुल्लाह जवादी आमोली ने कहा कि परिवार पवित्रता और शुचिता पर आधारित है और यह सम्मान से सुरक्षित है। उन्होंने सम्मान को ईश्वर के सबसे महत्वपूर्ण गुणों में से एक बताया और इसके तीन मुख्य पहलुओं पर प्रकाश डाला: 1. किसी की पहचान और स्थिति को पहचानना। 2. दूसरों की सीमाओं में हस्तक्षेप न करना। 3. दूसरों को अपनी सीमाओं में हस्तक्षेप न करने दें।
उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपनी मानवीय पहचान और अपने दायरे को पहचान लेता है, वह न तो दूसरों के अधिकारों का हनन करता है और न ही किसी को अपने अधिकारों का हनन करने देता है। ऐसे व्यक्ति और समाज अनैतिकता के नुकसान से सुरक्षित रहते हैं।
आयतुल्लाह जवादी आमोली ने स्पष्ट किया कि हिजाब और शुद्धता न केवल व्यक्ति की पवित्रता के लिए बल्कि समाज के लिए भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सम्मानित समाज ही वास्तविक विकास एवं शांति की ओर अग्रसर हो सकता है।